उत्तर भारत में भारी बारिश और हथिनी कुंड बैराज से छोड़े गए पानी के चलते यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। मथुरा और वृंदावन में निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं। कालीदह परिक्रमा मार्ग पूरी तरह डूब चुका है और हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं।

यमुना में उफान, बाढ़ ने मचाई तबाही
उत्तर भारत में लगातार हो रही भारी बारिश और हथिनी कुंड बैराज से छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी ने यमुना नदी को उफान पर ला दिया है। मथुरा और वृंदावन जैसे धार्मिक स्थल इस बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। रविवार को यमुना का जलस्तर खतरनाक निशान से ऊपर पहुँच गया, जिसके बाद निचले इलाकों में पानी भर गया। इससे श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

वृंदावन के घाट और परिक्रमा मार्ग डूबे
वृंदावन का प्रसिद्ध कालीदह परिक्रमा मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो गया है। श्रद्धालुओं को पानी में से होकर गुजरना पड़ रहा है। कई घाटों पर पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान बाधित हो गए हैं। मंदिरों के आसपास पानी भर जाने से पुरातन धरोहरों को भी नुकसान का खतरा है।

हजारों लोग घर छोड़ने को मजबूर
बाढ़ का सबसे ज्यादा असर निचले मोहल्लों और बस्तियों पर पड़ा है। स्थानीय लोग अपने जरूरी सामान को ऊँचे स्थानों पर शिफ्ट कर रहे हैं। कई परिवार सुरक्षित जगहों की तलाश में पलायन कर चुके हैं। जिला प्रशासन ने अब तक करीब एक हजार लोगों को राहत शिविरों और सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया है। स्कूलों को बंद कर दिया गया है और प्रभावित इलाकों में नावों की तैनाती की गई है।

हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा गया पानी बढ़ा संकट
बाढ़ की गंभीरता का सबसे बड़ा कारण हथिनी कुंड और ताजेवाला बैराज से छोड़ा गया पानी है। भारी वर्षा के बाद बैराज से 3 लाख से अधिक क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे यमुना का प्रवाह तेज़ी से बढ़ा। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, आने वाले दिनों में पानी का स्तर और बढ़ सकता है।

दिल्ली तक खतरा, ऐतिहासिक स्तर पर पहुँची यमुना
वृंदावन ही नहीं, बल्कि दिल्ली और आसपास के इलाके भी बाढ़ की चपेट में हैं। राजधानी में यमुना ने 206 मीटर का स्तर पार कर लिया है, जो बीते 63 वर्षों में केवल चार बार ही देखा गया है। प्रशासन ने लोहे का पुल (लोहे पुल/पुराना रेलवे ब्रिज) एहतियातन बंद कर दिया है। दिल्ली में भी 10 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है।

प्रशासन की तैयारी और राहत अभियान
जिला प्रशासन और एनडीआरएफ टीमें राहत व बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। नावों, गोताखोरों और बचाव दलों की तैनाती की गई है। प्रभावित परिवारों के लिए राहत शिविरों में भोजन, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। ग्रामीण इलाकों में बाढ़ चौकियाँ बनाई गई हैं और लगातार निगरानी रखी जा रही है।

उत्तर भारत में मानसून का कहर
यह बाढ़ केवल मथुरा और दिल्ली तक सीमित नहीं है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में भी बारिश और भूस्खलन से हालात बिगड़े हुए हैं। कई जगह सड़कों और पुलों को नुकसान पहुँचा है। किसानों की फसलें डूब गई हैं और ग्रामीण इलाकों में लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

स्थिति पर निगरानी और आगे की चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बारिश का दौर जारी रहा तो संकट और गहरा सकता है। यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है, जिससे मथुरा, वृंदावन और दिल्ली के लिए खतरा बरकरार है। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सावधानी बरतें।