राहुल गांधी का ‘वोट चोरी’ आरोप: बीजेपी का पलटवार, चुनाव आयोग ने किया खंडन

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए हैं। उन्होंने इसे वोट चोरी बताया और चुनाव आयोग से एक हफ़्ते में जवाब माँगा। आयोग ने आरोपों को भ्रामक करार देते हुए कहा कि तय प्रक्रिया के बिना किसी का नाम हटाया ही नहीं जा सकता। बीजेपी ने राहुल पर राजनीति करने का आरोप लगाया, जबकि आम आदमी पार्टी ने आयोग से स्पष्ट जवाब और पारदर्शी जाँच की माँग की।

राहुल गांधी का गंभीर आरोप

दिल्ली में सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा किया। उन्होंने दावा किया कि देशभर के कई इलाकों में वोटरों के नाम मतदाता सूची से सुनियोजित तरीके से हटाए गए हैं। राहुल ने इसे “वोट चोरी” करार दिया। उन्होंने कहा कि फर्जी लॉग-इन और तकनीकी हेरफेर के ज़रिए हजारों लोगों के नाम डिलीट किए गए। उदाहरण देते हुए राहुल ने कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट का ज़िक्र किया और आरोप लगाया कि यहाँ से बड़े पैमाने पर नाम गायब किए गए। उन्होंने चुनाव आयोग से एक हफ़्ते में जवाब माँगा और यह भी कहा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस और सबूत सार्वजनिक करेगी।

चुनाव आयोग का खंडन

राहुल गांधी के आरोपों के तुरंत बाद चुनाव आयोग ने आधिकारिक बयान जारी किया। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी के दावे “भ्रामक और ग़लत” हैं। आयोग के अनुसार, किसी भी मतदाता का नाम हटाने के लिए तय कानूनी प्रक्रिया अपनानी होती है। इसमें संबंधित वोटर को नोटिस भेजना, आपत्ति पर सुनवाई करना और फिर ही नाम हटाने की अनुमति होती है। आयोग ने साफ़ किया कि ऑनलाइन या किसी सॉफ़्टवेयर के ज़रिए सीधे नाम हटाना संभव ही नहीं है। चुनाव आयोग ने आगे कहा कि अगर कांग्रेस के पास ठोस सबूत हैं तो उन्हें आधिकारिक तौर पर जमा किया जाए, ताकि निष्पक्ष जाँच की जा सके।

बीजेपी का पलटवार

भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी लगातार संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।उनका आरोप है कि कांग्रेस सिर्फ़ राजनीति करने के लिए ऐसे बयान दे रही है और उसके पास कोई ठोस प्रमाण नहीं है। बीजेपी नेताओं ने यह भी सवाल उठाया कि अगर कांग्रेस के पास पुख्ता सबूत थे तो उन्हें पहले अदालत या आयोग के सामने क्यों नहीं रखा गया। बीजेपी ने कांग्रेस के इस कदम को चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया और कहा कि विपक्ष संस्थाओं पर अविश्वास फैलाकर जनता में भ्रम पैदा करना चाहता है।

आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया

वहीं, आम आदमी पार्टी ने इस विवाद में अलग रुख अपनाया। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब इतने बड़े स्तर पर वोटरों के नाम हटाने की बात सामने आ रही है तो चुनाव आयोग को स्पष्ट जवाब देना चाहिए। AAP ने मांग की कि अगर कहीं गड़बड़ी हुई है तो पारदर्शी जांच हो और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। भारद्वाज का कहना है कि लोकतंत्र की मजबूती तभी संभव है जब चुनाव आयोग जनता के भरोसे को मज़बूत करने के लिए स्पष्ट कदम उठाए।

राजनीतिक और लोकतांत्रिक असर

राहुल गांधी के आरोपों ने चुनावी बहस को नए मोड़ पर ला दिया है। एक ओर कांग्रेस इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है, दूसरी ओर भाजपा इसे राजनीति करार दे रही है। वहीं AAP आयोग से ठोस जवाब चाह रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद सिर्फ़ आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रहेगा। अगर कांग्रेस दस्तावेज़ी सबूत पेश करती है, तो चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ सकता है। साथ ही, जनता के बीच भी पारदर्शिता को लेकर सवाल उठेंगे।

आगे क्या?

फिलहाल चुनाव आयोग ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि प्रक्रिया से बाहर कोई नाम नहीं हटाया गया। लेकिन कांग्रेस ने एक हफ़्ते की समयसीमा तय की है। अब देखना होगा कि क्या कांग्रेस अपने दावों के समर्थन में ठोस सबूत सामने रखती है, और क्या चुनाव आयोग अतिरिक्त कदम उठाकर जनता के भरोसे को मज़बूत करने की कोशिश करता है। लोकतंत्र की नींव ही पारदर्शिता और भरोसा है। इसलिए यह विवाद आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति और चुनावी बहस का अहम मुद्दा बना रह सकता है।