#mathura झूला गया इतिहास बन! सावन आया, पर ना पेड़ बचे, ना परंपरा | Khanna Saini | #Indiafirstreports

रिपोर्ट: खन्ना सैनी, मथुरा: "झूला तो पड़ गए अमुआ की डाल पे जी..." ये गीत कभी हर गांव, हर गली में सावन की रौनक बनते थे। लेकिन आज... ना वो अमुआ की डाल बची, ना झूले, ना वो गीत।

रिपोर्ट: खन्ना सैनी: मथुरा झूला गया इतिहास बन! सावन आया, पर ना पेड़ बचे, ना परंपरा... | Khanna Saini | #indiafirstreports #saavan #mathura "झूला तो पड़ गए अमुआ की डाल पे जी..." ये गीत कभी हर गांव, हर गली में सावन की रौनक बनते थे। लेकिन आज... ना वो अमुआ की डाल बची, ना झूले, ना वो गीत। मथुरा की गलियों से आई इस रिपोर्ट में देखिए कैसे सावन अब सिर्फ कैलेंडर में आता है, लेकिन गांव की मिट्टी से उसका रिश्ता टूटता जा रहा है। जहां पहले सावन का मतलब था – मेहंदी, मायका, झूला और गीतों की मस्ती, वहीं आज मोबाइल और कटे हुए पेड़ों ने उस संस्कृति को ही निगल लिया है। क्यों गायब हो गया सावन का झूला? क्या हमारी अगली पीढ़ी सिर्फ किताबों और कहानियों में ही जानेगी इन परंपराओं को? देखिए हमारी ग्राउंड रिपोर्ट – बुजुर्गों की यादें, संस्कृति की बात और बदलते समय की सच्चाई... India First Reports पर एक जरूरी दस्तावेज़, एक जरूरी सवाल।