दिल्ली का GB Road: देह व्यापार की परतों के पीछे छिपी कहानियां | Waqar Ahmed | India First Reports

दिल्ली का GB रोड देश का प्रमुख रेड-लाइट एरिया है, जहां सैकड़ों महिलाएं देह व्यापार में संलग्न हैं। इनमें से कई मजबूरी में इस पेशे में आती हैं, जबकि ‘भेड़ी जात’ जैसे कुछ समुदाय इसे पीढ़ियों से अपना पारंपरिक पेशा मानते हैं। यह रिपोर्ट इन गलियों के भीतर की सच्चाइयों, सामाजिक पृष्ठभूमि और बदलाव की संभावनाओं पर केंद्रित है।

दिल्ली, 13 अगस्त — देश की राजधानी का जीबी रोड सिर्फ़ बाज़ार और दुकानों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने अंधेरे सच के लिए भी जाना जाता है। यहां सैकड़ों महिलाएं देह व्यापार में संलग्न हैं, जिनकी कहानियां समाज की उदासीनता और मजबूरी की जटिल परतों को उजागर करती हैं।

पारंपरिक और मजबूरी से जुड़ा पेशा

GB रोड पर काम करने वाली महिलाओं में कई ऐसी हैं जिन्हें गरीबी, धोखा या शोषण इस पेशे में धकेल देता है। वहीं, ‘भेड़ी जात’ नामक एक समुदाय भी यहां मौजूद है, जिसके बारे में माना जाता है कि वे अपनी मर्ज़ी से इस पेशे में आते हैं। यह उनके पूर्वजों से चला आ रहा पारंपरिक काम माना जाता है, और इस समुदाय में आमतौर पर किसी को ज़बरदस्ती इसमें नहीं लाया जाता।

आर्थिक और सामाजिक वास्तविकताएं

देह व्यापार से जुड़े इलाके में आर्थिक मजबूरी सबसे बड़ा कारण है। बहुत-सी महिलाएं अपने परिवार का पालन-पोषण करने या कर्ज चुकाने के लिए इस पेशे में उतरती हैं। इसके साथ ही, कानून और प्रशासन की निगरानी के बावजूद यह क्षेत्र दशकों से सक्रिय है।

बदलाव की संभावनाएं

सामाजिक कार्यकर्ता और कुछ संगठनों का मानना है कि पुनर्वास योजनाओं, शिक्षा और रोजगार के वैकल्पिक अवसरों के माध्यम से यहां बदलाव लाया जा सकता है। हालांकि, पारंपरिक रूप से इस पेशे में जुड़े समुदायों के मामले में बदलाव की प्रक्रिया जटिल और धीमी हो सकती है।

निष्कर्ष
GB रोड सिर्फ़ एक स्थान नहीं, बल्कि एक सामाजिक हकीकत का प्रतीक है। यहां की कहानियां इस बात का प्रमाण हैं कि मजबूरी, परंपरा और आर्थिक दबाव कैसे इंसान की ज़िंदगी का रास्ता तय करते हैं। फिलहाल, इस क्षेत्र में सुधार और पुनर्वास की कोशिशें जारी हैं, लेकिन बदलाव की राह लंबी है। पूरी खबर देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें।