ऑल इंडिया हज कमिटी के पूर्व सीईओ शबी अहमद ने इंडिया फर्स्ट रिपोर्ट्स से बातचीत में हज यात्रा की मौजूदा चुनौतियों पर खुलकर बात की। उन्होंने हज कोटे के वितरण, टिकट और आवास व्यवस्था, मक्का-मदीना में परिवहन, भोजन की गुणवत्ता और डिजिटल प्रक्रिया में बुजुर्ग यात्रियों की कठिनाइयों पर चिंता जताई। उनका मानना है कि बेहतर समन्वय से पारदर्शिता और सुविधाओं में बड़ा सुधार संभव है।
केंद्रीय हज समिति पर शबी अहमद का बयान, सुधार की ज़रूरत
नई दिल्ली | 15 अगस्त 2025 — ऑल इंडिया हज कमिटी के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शबी अहमद ने केंद्रीय हज समिति की मौजूदा चुनौतियों और संभावित सुधारों पर खुलकर अपनी राय रखी। इंडिया फर्स्ट रिपोर्ट्स से विशेष बातचीत में उन्होंने हज यात्रियों की सुविधा और यात्रा की पारदर्शिता को लेकर कई अहम सुझाव दिए।
चुनौतियों पर खुली चर्चा
शबी अहमद ने बताया कि हज कोटे का वितरण, टिकट और आवास की व्यवस्था लंबे समय से विवाद और असंतोष का कारण बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में हज कोटे के आवंटन में पारदर्शिता की कमी यात्रियों के विश्वास को प्रभावित करती है।
यात्रियों की ज़रूरतें और कठिनाइयाँ
पूर्व सीईओ के अनुसार, मक्का और मदीना में परिवहन व्यवस्था, भोजन की गुणवत्ता और ठहरने की सुविधाएं कई बार मानकों पर खरी नहीं उतरतीं। खासतौर पर बुजुर्ग यात्रियों के लिए डिजिटल आवेदन प्रक्रिया जटिल साबित हो रही है, जिससे उन्हें पंजीकरण और दस्तावेज़ जमा करने में दिक्कत होती है।
सुधार के सुझाव
शबी अहमद का मानना है कि राज्य हज समितियों, भारतीय दूतावासों और स्थानीय संगठनों के बीच बेहतर तालमेल से हज यात्रा की गुणवत्ता में बड़ा सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “अगर सभी स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए, तो हज यात्रा को अधिक सुरक्षित और सहज बनाया जा सकता है।”
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि हज समिति को यात्रियों की प्रतिक्रिया और शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी। आने वाले महीनों में समिति की नई नीतियां यह तय करेंगी कि क्या यात्रियों को वास्तव में बेहतर सुविधाएं मिल पाएंगी या नहीं। पूरी खबर देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें।