उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के आमरे बहुरी गाँव के लोग 2002 से स्थायी पुल का इंतजार कर रहे हैं। सरयू नहर की शाखा पर पुल न बनने से ग्रामीण हर साल चंदा जुटाकर लकड़ी का अस्थायी पुल बनाते हैं और उसी पर जान जोखिम में डालकर सफर करते हैं। कई बार प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद स्थायी समाधान अब तक नहीं मिल पाया है।
गोंडा में 24 साल से अधूरा सपना
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के मेहनौन विधानसभा क्षेत्र के विकास खंड इटियाथोक के आमरे बहुरी गाँव के लोगों का पक्का पुल पाने का सपना 24 साल से अधूरा है। वर्ष 2002 में सरयू नहर की एक शाखा इस मार्ग से गुज़री, लेकिन इसके ऊपर पुल का निर्माण कभी नहीं हो सका। नतीजतन ग्रामीण हर साल लकड़ी, बांस और पटरे का अस्थायी पुल बनाकर आवागमन करते हैं।
खतरे के बीच रोज़मर्रा का सफर
लगभग दो हज़ार की आबादी वाले इस गाँव में बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं रोज़ाना इस अस्थायी पुल से गुजरते हैं। बरसात के मौसम में यह सफर और भी जोखिमभरा हो जाता है, लेकिन कोई अन्य विकल्प न होने से ग्रामीण मजबूरी में इसी का सहारा लेते हैं। बीमारों को भी चारपाई पर लादकर इसी रास्ते से अस्पताल तक ले जाया जाता है।
ग्रामीणों के स्वयंसेवी प्रयास
कई बार अधिकारियों और नेताओं से अपील करने के बावजूद स्थायी पुल का काम शुरू नहीं हुआ। थककर गाँव के लोग हर वर्ष सामूहिक चंदा जुटाकर नया लकड़ी का पुल तैयार करते हैं। चार साल पहले इसी पुल से गिरकर एक बच्चे की नहर में डूबने से मौत हो चुकी है, लेकिन यह हादसा भी स्थायी समाधान का कारण नहीं बन पाया।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया का अभाव
अब तक जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई ठोस कार्ययोजना या निर्माण तिथि घोषित नहीं की गई है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन इस लंबे इंतजार को खत्म करने के लिए जल्द कदम उठाएंगे।
अगला कदम क्या होगा?
फिलहाल गाँव के लोग फिर से लकड़ी का पुल बनाने की तैयारी में हैं। सवाल यह है कि 24 साल से जान जोखिम में डालने वाले इन ग्रामीणों को कब तक इंतजार करना पड़ेगा, और प्रशासन इस मुद्दे को कब प्राथमिकता देगा। पूरी खबर देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें।